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सिर्फ तेरे साथ हो

नाराज़गी की बात हो, या प्यार के जज्बात हो

अब जो कोई भी बात हो,वो बात तेरे साथ हो

कितना भी मै गुस्सा करूँ,कितना ही मै तुमसे लडूं

सौ बार गर झगड़ा करुँ, हर बार तेरे साथ हो

जब डगमगाये कदम मेरे , कोई भी ना साथ हो

उस वक्त मेरे हाथ में बस एक तेरा हाथ हो

मै कही भी गिरता फिरूँ, उड़ता फिरूँ, लड़ता फिरूँ 

जीवन की अंतिम सांस लेकिन सिर्फ तेरे साथ हो

-रणदीप चौधरी ‘भरतपुरिया’

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